प्रेम-विवाह ( भाग-2 )
प्रेम-विवाह ( भाग-2 )
माँ पिता के घर छोड़ आई
बाबुल से रिश्ता तोड़ आई
सखियों से मुँह मोड आई
प्रियतम से नाता जोड़ आई
छोड़ आई अकेले माँ को
एक अंजाने से रिश्ता जोड़ आई
माँ बिलखती रही घर पर
उसको उसी हाल में छोड़ आई
पिता के पगड़ी को झुका
अपनी खुशी में खो गई
ईश्क का जो जुनून सवार था
आने वाली कल ना देख पाई
जब तक रहा पैसा पास में
हमने पुरा ऐस-मौज मनाई
शुरू हुआ जब असली जिंदगी
वो अपना रंग अब दिखलाया
अब पहले जैसा प्यार नहीं था
अब होता पिया से रोज लडाई
कमाते और रोज दारू पीते
घर आ कर करते रोज पिटाई
मन ही मन अब पचताती हूँ
क्यों माँ की घर छोड़ आई
अब मन ग्लानि से भरी हुई है
क्यों पिता के बाते न सुन पाई
उस समय मैं ईश्क में चूर थी
क्या गलती हैं समझ नहीं पाई
इस जालिम दुनिया वाले को
मैं तब नही परख पाई
✍अंकित राज
Ramsewak gupta
17-Oct-2021 12:11 PM
बहुत खूबसूरत
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Ankit Raj
17-Oct-2021 12:44 PM
जी शुक्रिया
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Seema Priyadarshini sahay
16-Oct-2021 05:26 PM
बहुत खूबसूरत
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Ankit Raj
17-Oct-2021 12:45 PM
शुक्रिया जी
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Rubi Kumari
14-Oct-2021 07:02 AM
Sundar rachana
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